कानपुर में “आई लव मुहम्मद” नारे को लेकर विवाद बदता जा रहा है, जिसके चलते शारदा नगर में मुस्लिम समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस के अनुसार, एफआईआर धार्मिक नारे के कारण नहीं, बल्कि बिना अनुमति गेट बनाने और बारावफात कार्यक्रम के दौरान सामुदायिक भोज के बैनर फाड़ने को लेकर दर्ज की गई थी।
क्या है पूरा मामला –
दरअसल 19 सितंबर 2025 को शारदा नगर में एफआईआर के विरोध में जुलूस निकाला गया, जिसमें समुदाय ने मुकदमा वापस लेने की मांग की। एसीपी कल्याणपुर रंजीत कुमार ने स्पष्ट किया है कि एफआईआर केवल प्रक्रियागत उल्लंघन के कारण दर्ज हुई थी, न कि नारे की वजह से।
उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा है की जांच के बाद यदि किसी निर्दोष का नाम सामने आता है तो उसे हटा दिया जाएगा। यह मामला 4-5 सितंबर 2025 को सड़क अवरुद्ध करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में शराफत हुसैन सहित कई लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया।
इसी बीच, गुजरात के गोधरा में भी उसी रात एक संबंधित घटना ने हिंसक रूप ले लिया। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर जाकिर झाभा की पोस्ट से भड़के भीड़ ने बी डिवीजन थाने पर हमला कर वाहनों को नुकसान पहुंचाया। पुलिस ने बताया कि जाकिर को उकसाने वाले कंटेंट पोस्ट करने पर तलब किया गया था, लेकिन उन्होंने एक रील में दावा किया कि पुलिस ने उन्हें “आई लव मुहम्मद” पोस्ट को लेकर पीटा। इसके बाद सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए और पथराव शुरू कर दिया।
17 लोगों को किया गया गिरफ्तार
हालत बिगड़ते देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर हालात काबू में किए, 17 लोगों को गिरफ्तार किया और शनिवार सुबह तक 88 लोगों पर एफआईआर दर्ज की। एसपी हरेश दुधत ने बताया कि भारी पुलिस बल की तैनाती के बाद शांति बहाल हो गई है, लेकिन सतर्कता अभी भी जारी है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें। साथ ही चेतावनी दी गई कि कानून तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
कानपुर और गोधरा की ये दोनों घटनाएं धार्मिक भावनाओं की संवेदनशीलता और सोशल मीडिया की भूमिका को उजागर करती हैं, जिसने तनाव को और बढ़ाया। दोनों शहरों की पुलिस और प्रशासन स्थिति स्पष्ट करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जांच जारी है ताकि शिकायतों का समाधान हो सके और आगे अशांति न फैले।
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