Googly Ball Kis Country Mein Invent Hui Thi: क्रिकेट के दीवाने फैंस के लिए गूगली बॉल एक ऐसा नाम है जो मैच का रुख पलट सकती है। ये एक धांसू डिलीवरी है, जो बल्लेबाज को बेवकूफ बनाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये गूगली बॉल आखिर कहां से आई? और इसकी खोज किसने और कब की ?
अगर नहीं तो चलिए जानते है इस आर्टिकल में हम गूगली बॉल के आविष्कार की कहानी, उसके पीछे का इतिहास और महत्व पर नजर डालेंगे। क्रिकेट प्रेमियों के लिए ये जानकारी काफी इंटरेस्टिंग हो सकती है तो यदि आप क्रिकेट को पसंद करते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढे
गूगली बॉल क्या है?
क्रिकेट में गूगली एक स्पिन डिलीवरी है, जो लेग-स्पिनर के द्वारा फेंकी जाती है। ये दिखने में सामान्य लेग-ब्रेक जैसी लगती है, लेकिन पिच पर गिरने के बाद ये उल्टी दिशा में टर्न करती है – यानी ऑफ-साइड से लेग-साइड की तरफ।
दाहिने हाथ के बल्लेबाज के लिए ये खतरनाक साबित होती है, क्योंकि ये पैड्स या विकेट पर जा सकती है। ऑस्ट्रेलिया में इसे ‘रॉन्ग अन’ या ‘बोसी’ भी कहा जाता है।
कुछ लोग मानते है की गूगली का नाम ‘गू’ (मासूमियत) और ‘गाइल’ (चालाकी) से आया है, लेकिन इसका सटीक मतलब आज भी रहस्यमयी है।
गूगली बॉल का आविष्कार किस देश में हुआ था? | In which country was the googly invented?
गूगली बॉल का आविष्कार इंग्लैंड में हुआ था। इसकी खोज 1900 के शुरुआती सालों में इंग्लैंड के क्रिकेटर बर्नार्ड बोसनक्वेट ने की थी। बता दे की बोसनक्वेट एक अमेच्योर क्रिकेटर थे, जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र थे।

उन्होंने गूगली को एक टेबल-टॉप गेम ‘ट्विस्टी-ट्वॉस्ट’ से इंस्पायर होकर डेवलप किया था। इस गेम में टेनिस बॉल को टेबल पर उछालकर विरोधी को चकमा दिया जाता था।
बोसनक्वेट ने 1890 के अंत में सॉफ्ट बॉल से प्रैक्टिस शुरू की, जिसके बाद उन्होंने क्रिकेट बॉल पर ट्राई किया। और इसे बेहतर बनाने के लिए मेहनत करते रहे।
पहली बार कब इस्तमाल हुई थी गूगली बाल
1900 में लेस्टरशायर के खिलाफ मैच में बोसनक्वेट ने इसे पहली बार फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में इस्तेमाल किया था। 1903-04 में ऑस्ट्रेलिया टूर पर इंग्लैंड के लिए टेस्ट डेब्यू करते हुए गूगली ने धूम मचा दी। इससे पहले बोसनक्वेट पेस बॉलर थे, लेकिन गूगली ने उन्हें स्पिन का किंग बना दिया था।
हालांकि, उस समय कुछ लोग ने बोसनक्वेट की तरकी देखकर यह कहना शुरू कर दिया कि पहले भी कुछ बॉलर अनजाने में ऐसी डिलीवरी फेंक चुके थे, जिसके बाद से बोसनक्वेट ने इसे जानबूझकर लगातार इस्तेमाल करना शुरू कर दिया
गूगली बॉल का इतिहास और विकास
1900 के दशक में गूगली को लेकर काफी विवाद शुरू हो गया था। कुछ क्रिटिक्स ने इसे अनफेयर माना, लेकिन ये जल्दी ही स्पिन बॉलिंग का अहम हथियार बन गई। बोसनक्वेट ने 1925 में एक आर्टिकल में बताया कि कैसे उन्होंने इसे डेवलप किया।
गूगली ने लेग-स्पिनर्स को नई ताकत दी। इससे बल्लेबाजों को पढ़ना मुश्किल हो गया। 1902 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहली बार इंटरनेशनल क्रिकेट में इसे इस्तेमाल किया गया
अगर बात करें आज के आधुनिक समय की तो आज गूगली मास्टर जैसे शेन वार्न (ऑस्ट्रेलिया), अब्दुल कादिर (पाकिस्तान) और राशिद खान (अफगानिस्तान) ने इसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
गूगली फेंकने का तरीका: थोड़ी सी टिप्स
अगर आप क्रिकेटर हैं, और गूगली सीखना चाहते हैं, तो इन बातों पर खास ध्यान दें:
- ग्रिप: लेग-स्पिन जैसी ही रखें, लेकिन रिलीज पर कलाई को उल्टा घुमाएं।
- एक्शन: सामान्य लेग-ब्रेक जैसा ही रखें, ताकि बल्लेबाज को शक न हो।
- प्रैक्टिस: ज्यादा रिवोल्यूशन के लिए इंडेक्स और मिडिल फिंगर का इस्तेमाल करें।
ये डिलीवरी मास्टर करने में समय लगता है, लेकिन एक बार सीख लें तो विकेट लेना आसान हो जाता है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल को पढ़कर आप यह जान ही गए होंगे की गूगली बॉल इंग्लैंड में इन्वेंट हुई थी, और इसका श्रेय बर्नार्ड बोसनक्वेट को जाता है।
ये आविष्कार क्रिकेट को और रोमांचक बनाने का एक बड़ा कदम था। आज भी गूगली मैच विनर साबित होती है। अगर आप क्रिकेट के फैन हैं, तो अगली बार मैच देखें तो बोसनक्वेट को याद करें। क्या आपको गूगली फेंकना आता है या कोई फेवरेट गूगली बॉलर है? कमेंट्स में बताएं!
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FAQ
Ans- Bernard James Tindal Bosanquet
Ans- गूगली बॉल का आविष्कार इंग्लैंड में हुआ था
Ans- गूगली बॉल क्रिकेट में लेग-स्पिन गेंदबाज़ की एक खास गेंद होती है। इसमें गेंद सामान्य लेग-स्पिन की दिशा के विपरीत घूमती है और बल्लेबाज़ को धोखा देती है।

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