Flight 571 ki Kahani: 72 दिन बर्फ में फंसे इंसान – ज़िंदा रहने के लिए खाया इंसानों का मांस

Flight 571 ki Kahani: दोस्तों आज हम आपको एक ऐसी सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में शायद ही अपने सुना होगा यह कहानी बताती है की जब ज़िंदगी और मौत के बीच सिर्फ एक पतली सी रेखा रह जाए, तो इंसान क्या कर सकता है? यह  कहानी है Flight 571 के हादसे की

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यह कहानी इंसान की हिम्मत, संघर्ष और survival की ऐसी मिसाल है जिसे सुनकर आज भी दिल दहल उठता है। चलिए आपको इस कहानी के बारे में विस्तार से बताते है

एक आम फ्लाइट बनी एक डरावनी कहानी | Flight 571 ki Kahani

12 अक्टूबर 1972 को, मोंटेवीडियो से उड़ान भरने वाला एक विमान सिर्फ यात्रियों को नहीं, बल्कि कई सपनों और उम्मीदों को लेकर चला था

Flight 571 ki Kahani

जिसमें 45 लोग शामिल थे, ज़्यादातर रग्बी खिलाड़ी और उनके करीबी लोग। यह विमान चिली के सैंटियागो जा रहा था, लेकिन बीच में एंडीज पहाड़ों का कठिन रास्ता था।

खराब मौसम के कारण हुआ बड़ा हादसा

अगले दिन यानी 13 अक्टूबर को मौसम अचानक खराब हो गया। तेज़ बर्फबारी और कम दिखने की वजह से पायलट को लगा कि वह पहाड़ पार कर चुका है,

लेकिन असल में फ्लाइट अब भी एंडीज की ऊंची चोटियों के बीच थी। जिसके कारण प्लेन एक चट्टान से टकरा गया।

टक्कर इतनी ज़ोरदार थी थी कि विमान कई टुकड़ों में टूट गया — पिछला हिस्सा, पंख और इंजन अलग हो गए, जबकि सामने का भाग बर्फ से ढके एक ग्लेशियर पर जा गिरा।

लेना पड़ा साथियों का मांस खाने का फैसला

इस भयानक क्रैश में 12 लोग तुरंत मारे गए। बाकी बचे लोग कड़ाके की ठंड (-20°C), बर्फीले तूफानों, और भूख से जूझते रहे।

शुरुआत में यात्रियों ने सूटकेस में बचे हुए खाने जैसे चॉकलेट, वाइन और छोटे-छोटे स्नैक्स से काम चलाया, लेकिन कुछ ही दिनों में यह सब खत्म हो गया।”

धीरे-धीरे हालात और बिगड़ने लगे फिर वो हुआ जिसके बारे में किसी ने सोच नहीं था भूख से जूझते लोगे ने मरे हुए साथियों का मांस खाने का फैसला किया

यह फैसला आसान नहीं था, लेकिन जब ज़िंदगी खतरे में हो और बचने का कोई और रास्ता न हो, तो इंसान कुछ भी कर गुजरता है। लेकिन जो बचे थे उनमें से भी कुछ लोग बाद में ठंड और भूख की वजह से दम तोड़ बैठे

72 दिनों तक बर्फ के कैद में

इन लोगों ने 72 दिनों तक बर्फ की दुनिया में संघर्ष किया। न कोई मदद, न कोई खबर, सिर्फ इंतज़ार और हिम्मत।

Flight 571 ki Kahani

कुछ दिनों बाद यात्रियों को एक टूटी हुई रेडियो से यह सुनने को मिला कि सरकारी खोज अभियान बंद कर दिया गया है। इस खबर ने उनका मनोबल तोड़ दिया, लेकिन कुछ ने हार मानने की बजाय लड़ने का फैसला लिया

आख़िरकार दो जवान, फर्नांडो पराडो और रॉबर्टो कैनसा, मदद की तलाश में पहाड़ों को पार कर निकल पड़े।

उनकी कोशिशों के बाद 23 दिसंबर 1972 को हेलिकॉप्टर के ज़रिए बाकी 16 लोगों को बचा लिया गया

ये कहानी क्या सिखाती है? (Flight 571 ki Kahani)

Flight 571 की यह घटना सिर्फ एक प्लेन क्रैश नहीं है — यह कहानी सिर्फ बचे रहने की नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि जब इंसान उम्मीद नहीं छोड़ता, तो वो असंभव को भी मुमकिन बना सकता है

निष्कर्ष:

Flight 571 की यह दिल दहला देने वाली घटना हमें डर तो जरूर देती है, लेकिन साथ ही यह भी दिखाती है कि इंसान की सहनशक्ति और आत्मबलिदान किस हद तक जा सकता है।

ऐसी कहानियाँ हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हम अपनी रोज़मर्रा की मुश्किलों से हार क्यों मानें?

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